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- vivek: કોણ કહે છે હું પોતાના માટે જીવુ છું અે તો હું લોકોના રમવા માટે બન્યો...
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Tag Archives: avinash scrapwala
हर दिन – होली हैं
प्रकृति के रंग अनेक इंसानों के ढंग अनेक सुख दुःख की होती यहाँ आँख मिचौली हैं जीवन के रंग मंच पर तो भाई, हर दिन – “होली हैं”
‘घोटालों’ का ‘नव-युग’ आया . . .
मन में उमड़ रहा ‘घोटालों’ का ‘गुबार’ हैं आओ यारों गाएं हम खुशी के गीत झूमे गाकर अपना राग, अपनी लय, अपनी ताल, और अपना संगीत, देश भी अपना माल भी अपना अपनी ही सरकार अरे मौज उडाओं यारों किस … Continue reading
Yeh Jo Desh Hai Tera ………
प्रजा से अभी भी कोसों दूर – ‘सत्ता’,‘तंत्र’ ! देश आज ६४ वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इन ६४ सालों में निश्चित तौर पर हमने प्रगति की है. विकास हुआ हैं. लेकिन साथ ही साथ हमने ‘मूल्यों’ को खो … Continue reading
Posted in यह जो देश है तेरा.., हिन्दी
Tagged avinash scrapwala, Bharat, India, Society
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‘तूफ़ान’ से ‘अप-डाउन’
रोज के ‘अप –डाउन’ में वैसे तो कोई दिक्कत नहीं होती, सुबह जाते वक्त समय पर निकलो, तो ‘एस-टी’ बस मिल ही जाती, थोड़ी देर हो जाये तो, बात नहीं कोई, सबके लिए फिर भी, ‘लक्ज़री मिनी बस’ है न … Continue reading