दोस्तों ,सबको स्वतंत्रता दिन की बहुत शुभकामनाएँ .. मेरा यह काव्य उन सैनिको के लिए है जिनकी वजह से हम सब आज भी स्वतंत्र है और आज़ादी की साँस ले सकते है.. जो आज भी सीमाओं पे अडिग रह के हमारे देश की रक्षा कर रहे है .. उन वीरो को कोटि कोटि वंदन ..
ठोकरों का सामना किये चलो, किये चलो
बढे चलो, बढे चलो,वीर तुम बढे चलो ..
कोशिशों का काफिला लिए चलो, लिए चलो
बढे चलो, बढे चलो, वीर तुम बढे चलो ..
रास्तों में आएँगे मुश्किलों वाले पल ,
पर मनोबल पे अपने रहेना तुं अटल,
तूफानों को मुठ्ठी में समेट लो,समेट लो ,
बढे चलो, बढे चलो, वीर तुम बढे चलो ..
दुश्मनों की गोली पे हो चाहे तेरा नाम,
सरहदों पे है डटें रहेना तेरा काम,
मातृभूमि के लिए जीये चलो,मरे चलो,
बढे चलो, बढे चलो, वीर तुम बढे चलो ..
देश की हो आन तुम देश की हो शान ,
तुमसे ही तो है भारतमाँ का अभिमान ,
राष्ट्रध्वज के मान के लिए तुम लड़े चलो ,
बढे चलो, बढे चलो वीर तुम बढे चलो ..
bahu j srs…
Dr. Harivansh rai bachchan ni yaad apavi didhi ape…
Bahut khub..
Jay Hind
Thank u so much..
‘जय हिंद !!! सीमा पर मुस्तैद , अपने घर से और अपनोंसे दूर रहकर मातृभूमि कि सेवा करनेवाले, अपनी जान पर खेलनेवाले हर सिपाही को शत शत नमन!!!
Nice.. Remembered ‘वीर तुम बढे चलो’ by द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी!!
owhh.. really.. actually i don’t knw about that.. thnx.
Truly patriotic! Nice!